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देशज दुकनिया |
जौनपुर के शाही पुल के पास स्थित एक घरेलू लकड़ी के साजो-सामानों से सजी दुकान। आँवले का मुरब्बा बनाते समय आँवले में छेद करने हेतु छेदनी हो या बेलन, अथवा छौंक बघार वाले कलछुल, सभी कुछ ध्यान खेंचते हैं। मूसल जो अब केवल प्रतीकात्मक रूप से ही विवाह के दौरान मंडप में इस्तेमाल होते हैं, वे भी बहुतायत में दिख रहे हैं। उन्हीं सामानों के बीच एक्वाफिना की पानी की बोतल भी रखी है....
और हां, हुक्कों के बगल में शंकर भगवान भी हैं।
- सतीश पंचम
वाकई..
ReplyDeleteआप हमेशा अनोखी चीजें ढूँढ कर लाते है...