Saturday, May 28, 2011

जलज 'ठाँव'

रहिमन निज संपत्ति बिना, कोउ न बिपति सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को,  नहिं रवि सकै बचाय ।।
    रहीम कहते हैं कि   जब कोई विपत्ति आन पड़े तो निजी संपत्ति  ही सहायक होती है,  बाहरी सहायता की  उम्मीद करना ठीक नहीं। हो सके तो समय के साथ थोड़ा-थोड़ा धन संचय करते रहना चाहिए, वही विपत काल में काम देता है। क्योंकि देखा गया है कि जब पास में कुछ न हो तो जो सहायता करने की नीयत वाले होते हैं वो भी हाथ खड़े कर देते हैं। 

     कमल अपने पास स्थित जल से सिंचित होकर खिलता है तो सूर्य उसे विकसित करता है, बड़ा करता है। किंतु,  यदि पानी ही सूख जाय तो सूर्य सहायता करना भी चाहे तो भी कमल की सहायता नहीं कर पाता।

Image detail  : तालाब में खिलने को तैयार जलज,  मुंबई के भायखला इलाके में स्थित एक चिड़ियाघर के हैं।

Tuesday, May 24, 2011

लहबर

'लहबर' उठाये हुए मुस्लिम फ़कीर

    अक्सर किसी-किसी इलाके के मान्य किसी फकीर अथवा साईं के दरगाह, मजार हेतु तीर्थयात्रा के लिये  जाते समय कुछ भक्त गण इलाके की प्रथानुसार हर घर से थोड़ा थोड़ा अन्न-दान लेते चले जाते हैं, कुछ लोग साथ साथ जाते हैं दान में मिली अन्न की बोरियों को ढोने-पहुंचाने के लिये .... साथ ही साथ जाता है रंग बिरंगे कपड़ों में लिपटा 'लहबर' ।

Saturday, May 21, 2011

The प्रथम वंदनाइजेशन

अपनी पारी का इंतजार करते बैकग्राउण्ड में गणेश जी

    अक्सर किसी भी काम के शुरूवात में गणेश जी को शामिल किया जाता है, लेकिन जब बात महीने की शुरूवात में मिलने वाली सैलेरी की हो तो गणेश जी को साइड करते हुए  सबसे पहले पति-पत्नी ही आपस में गुणा भाग में जुट लेते हैं - दूधवाले का बिल, बिजली का बिल, पानी का बिल, फ्लैट का मेंटेनेंस...... और इस गुणा भाग में हमेशा प्रथम वंदित होने वाले गणेश जी, सेकंड वंदिते के रूप में  इंतजार करते नज़र आते हैं......प्रथम वंदन तब सैलेरी देवता हो जाते है शायद  :)

 - सतीश पंचम

Tuesday, May 17, 2011

'द्रौपदी'

'द्रौपदी'

'गाँव-घर' में हो रहे एक निर्माण कार्य के दौरान बालू में  मिले कुछ पत्थर और घर के पास ही स्थित गुलाब के पौधे से मिली - द्रौपदी...... जिसे कि  दुपहरी में बैठे-ठाले अपने कैमरे में कैद कर लिया :)

     Update -  दरअसल इस 'गुलाब और पत्थर' छायाचित्र को देखते ही मुझे वह महाभारत का प्रसंग याद आ गया जिसमें कि एक ओर जुए के दौरान हारी हुई, अपमानित द्रौपदी है और दूजी ओर उसके पांचो पति राजसभा में मौजूद हैं। उनके पास द्रौपदी के अपमानित होते देखते रहने के सिवा कोई चारा नहीं, यानि कि जड़-पत्थर की मानिंद पांचो बैठे रहे।

 - सतीश पंचम

Sunday, May 15, 2011

The 'डन्ठल'



थोड़ी सी गर्मी
थोड़ी सी पुरवाई
थोड़े से गेहूँ के डंठल

और

ख़ामोश दुपहरी

Tuesday, May 10, 2011

Hey Sibal.......


छोटा बच्चा जान के हमको ना...... 

Once upon a Time :)

Kapil Sibal had announced an Indian touchscreen tablet computer, which will be available to students for 1500 INR under One Laptop per Child (OLPC) Plan.

 सभी बच्चों को समय से किताब कापी मिल जाय वही बहुत है..... ऐसे में  One Laptop Per Child Plan.... ???

मजाक अच्छा कर लेते हैं मनिस्टर लोग :)