Photography Blog of Satish Pancham.
कच्ची मिट्टी, भूसा, गोबर, आम और नीम की गन्ध!
देहात की महक..मवेशी तो बंधे हैं भीतर .आखिर किसका इन्तजार कर रहा ये किसान..सोच रही हूँ आखिर कितनी होगी इनके आँखों के सपनो की सीमा...
गरमी का महिना ... गेहू दवा गया हैं ... भूसा गजा हैं ...दादा गोड्वारी बैठे हैं ... संघी साथी का हैं इंतजार ... कोई लाये चडा के हुक्का ..हो बाते दो चार
कच्ची मिट्टी, भूसा, गोबर, आम और नीम की गन्ध!
ReplyDeleteदेहात की महक..मवेशी तो बंधे हैं भीतर .आखिर किसका इन्तजार कर रहा ये किसान..सोच रही हूँ आखिर कितनी होगी इनके आँखों के सपनो की सीमा...
ReplyDeleteगरमी का महिना ... गेहू दवा गया हैं ... भूसा गजा हैं ...दादा गोड्वारी बैठे हैं ... संघी साथी का
ReplyDeleteहैं इंतजार ... कोई लाये चडा के हुक्का ..हो बाते दो चार