Saturday, September 24, 2011

उठान डगर


उठान डगर 

  मेरे घर के पास स्थित हनुमान मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ वर्ष पूर्व चित्रकारी की गई थी। उन चित्रों में से कुछ को मैंने अपने कैमरे में कैद कर लिया। पांच-छह साल बाद वहां अब केवल काई लगी दीवार है, झाड़-झंखाड़ है। उन्हीं छायाचित्रों में से एक है यह छायाचित्र जिसमें मानव के विकास, उपर उठने की जिजिविषा दर्शाई गई है कि किस तरह मानव अपने मूल स्थिति से खुद  को उपर विकासक्रम में स्थापित करने हेतु सीढ़ी लाता है, और उपर उठना चाहता है कि तभी उसकी राह रोकने के लिये विषधर भी आ जाते हैं।

- सतीश पंचम 

3 comments:

  1. इसे वरली पेंटिंग कहते हैं....यहाँ अक्सर मंदिर के दीवारों पर यह लोक कला देखने को मिल जाती है...

    मैं सोच रही थी...इस पर एक पोस्ट लिखने की...तब आपके द्वारा ली गयी इस तस्वीर का शायद उपयोग करूँ...(आपकी इजाज़त के साथ :))

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  2. इस तरह इसे संजोने और सांझा करने के लिए आपका आभार...

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