Sunday, May 15, 2011

The 'डन्ठल'



थोड़ी सी गर्मी
थोड़ी सी पुरवाई
थोड़े से गेहूँ के डंठल

और

ख़ामोश दुपहरी

4 comments:

  1. ऐसी खामोश दोपहरी ...ऑफिस में बैठने वालों के लिए बड़ी खतरनाक होती है...इसका पता मुझे जब चला जब मैंने अपने खेत से छोटे भाई और पिताजी के साथ ४० कुंतल भूसा घर में ढोया.... :(

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  2. कल राते लौटे हैं गाँव से ई सब आँख में बसा के....

    बहुत बहुत आभार..

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