गाँव-गाँव की मेरी घुमक्कड़ी के दौरान ली गई एक तस्वीर जिसमें एक महिला मथनी से मेटी में मट्ठा तैयार कर रही है। जिस वक्त मट्ठा मथा जा रहा था उस समय उसका बेटा बगल में इस उम्मीद से खड़ा था कि मट्ठा मथने से जो उपरी सतह पर 'नैनू' (मक्खन) उतरायेगा तो वह खाने मिलेगा। जबकि उसकी माता इस फेर में थी कि थोड़ा सा चख भर ले, बाकि जो बचे वह उपलों की आग पर रख खर करते हुए घी बनाये....लेकिन बच्चा डटा था कि मुझे और 'नैनू' चाहिये :-)
समय - माठा 'पियउवल' का
स्थान - ऊपी का एक गाँव
चित्र में धूप-छांव और बच्चे की उम्मीदों वाली आँखें गज़ब का भाव जगा रही हैं! इस पर तो एक प्यारी कविता लिखी जानी चाहिए।
ReplyDeleteबेहतरीन फोटोग्राफी।..वाह!
अंधियारी कोठरी मा झांकता अजोर
ReplyDeleteउज्जर-उज्जर दंतिया दिखावता किशोर।
माई मथे मथनी में सगरो दरदिया
घीऊ-भात खाई अब हमरो करियवा
लइका मांगे 'नैनू' करेजवा हिलोर।
फिर बेटा माखनचोर बन जाय तो क्या आश्चर्य!
ReplyDelete@'नैनू' के साथ चीनी भी...
ReplyDelete:) वाह