करीब पांच-छह साल पहले खेंची गई यह तस्वीर तब की है जब मध्य प्रदेश के किसी स्टेशन से गुजर रहा था। उस स्टेशन का नाम तो याद नहीं लेकिन ट्रेन कुछ मिनटों के लिये उस स्टेशन पर रूकी थी, कि तभी इन 'दो सज्जनों' पर नज़र पड़ी जो अपने दोनों बोरे पीछे प्लेटफार्म पर रख बड़ी ही बेफिक्री से नीचे पटरी की ओर पैर लटकाये प्लेटफार्म पर बतिया रहे थे।
इनकी बेफिक्री देख, इनके फुरसत वाले क्षणों को देख थोड़ा सा कौतुहल हुआ। संभवत: इनके कम्पेरिज़न में ही मुंबई की भागदौड़ के बारे में कहा गया होगा - यहाँ तो 'मरने तक की' फुरसत नहीं है।
और इन्हें देखो.......फुरसत ही फुरसत :)
- सतीश पंचम
good one...
ReplyDeletesahi....
ReplyDeleteऐसे नज़ारे लगभग हर स्टेशन पर दिख जाते हैं! खासकर छोटे स्टेशनों के वेंडर और कुली या यात्री भी ट्रेन के इंतज़ार में बतियाते देखे जा सकते हैं!
ReplyDeleteहर किसी को थोड़े ही मिलते है ये अनमोल पल......
ReplyDeleteमनो किसी जोहरी ने तिज्जोरी में संभाल रखे हों.