Thoughts of a Lens
Photography Blog of Satish Pancham.
Sunday, April 17, 2016
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Saturday, February 20, 2016
Friday, February 19, 2016
Saturday, July 20, 2013
खूँटेदार पशु- शौचालय
गाँवों में शौचालय निर्माण के लिये दी जाने वाली सीमेंट की फर्श जिसके नीचे गड्ढा खोदकर शौचालय का निर्माण किया जाता है, खराब क्वालिटी के होने के कारण लोग उसका उपयोग इंसानों के लिये न करते हुए अपने पालतू पशुओं के लिये पक्की फर्श के रूप में करते हैं ताकि बरसातों में कच्ची गीली जमीन से पशुओं को कुछ हद तक राहत मिल सके।
कुछ हजार साल बाद यही जगह जब पुरातात्विक उत्खनन के दौरान पाई जायगी तो इतिहासकार कयास लगायेंगे कि चार हजार वर्ष पूर्व भारत के पशु इतने समझदार थे कि इंसानों की तरह उनके लिये भी शौचालय बनाये जाते थे। ऐसे शौचालयों के पास खूंटे गड़े होना स्पष्ट प्रमाणित करता है कि ये "पशु-शौचालय" है :-)
- सतीश पंचम
Friday, December 7, 2012
परजातंतर
यह फोटो आज सुबह ही ऑफिस जाते वक्त मोबाइल से लिया जिसमें पीछे की दीवार पर वही अलबेली बातें लिखी हैं कि अरबों का घोटाला हुआ, इतने का उतना हुआ और रास्ते के ठीक दूसरे सिरे पर एक शख्स सो रहा है। वहीं दीवार की ओर ही थोड़ा ध्यान से देखेंगे तो तस्वीर के एक हिस्से में तेज उजाला भी पड़ रहा है जिसमें से किसी नेता का पोस्टर पर बना मुस्कराता चेहरा सड़क पर सोये शख्स को देख रहा है। वस्तुत: यही हो भी रहा है।
Wednesday, August 8, 2012
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